Monday 31 December 2012

शत्रु नाशक यंत्र






विधान एवं प्रभाव :- 

इस यंत्र को जो मनुष्य धारण करता हैं । उस मनुष्य का शत्रु उससे शत्रुता करना छोड़ देता हैं और अगर नहीं छोड़ता है तो नष्ट हो जाता हैं । तंत्र मंत्र आदि अभिचार का का प्रभाव नहीं पड़ता है । भूत प्रेत बाधा नहीं होती । और मनुष्य जो भी कार्य करता हैं उस में उसको सफलता प्राप्त होती हैं । 

इस यंत्र को शुभ महूर्त मीन अष्टगंध की स्याही से अनार की कलम द्वारा भोजपत्र पर निर्माण करें तथा निर्माण करते वक़्त अपने मुंह में मिस्री रखें । तथा घी का दीपक जलता रहे । 

मंत्र  :-           "   धूं कुरु कुरु फट्  "

आम की लकड़ी पर उपर दिये मंत्र से हवन करें 108 आहुति इस मंत्र की दें । यंत्र को धूपित कर धारण करें । यंत्र अपना प्रभाव तुरंत प्रकट करने लगता हैं । 





Wednesday 26 December 2012

विदेश गये को वापस बुलाने का यंत्र








प्रभाव एवं विधान :- 

घर का कोई सदस्य अगर विदेश गया हो और वापस न आ रहा हो तो इस यंत्र का प्रयोग ,किया जा सकता हैं । 

इस यंत्र को रास्ते की मिट्टी से कोरे कागज पर लिखें । उस यंत्र को बेल्ट से मरें । इस प्रयोग से गया हुआ व्यक्ति वापस आ जाता है । 

नींबू के रस से कोरे कागज पर यंत्र लिख कर शमशान में जा कर पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ आयें । गया हुआ व्यक्ति वापस आ जाता हैं । 

 दोनों प्रयोग में यंत्र के पीछे वापस जिस को बुलाना हैं उसका नाम लिखें । 

Monday 24 December 2012

बेकारी दूर करने का यंत्र







विधान एवं प्रभाव :- 

इस  यंत्र को रवि पुष्प योग में गोरोचन , कपूर और केसर और गंगाजल मिलकर , चमेली की कलम से भोजपत्र पर लिखें । लिखतें समय मुंह में मिश्री की अवश्य रखना चाहिये । 

जो व्यक्ति काम धंधे की तलाश में भटक रहा हो किन्तु उसे कहीं कोई नौकरी , कम न मिल पा रहा हो , तो इस यंत्र को विश्वश पूर्वक धारण करने से बेकारी दूर होती है तथा कहीं - न - कहीं नौकरी या काम अवश्य मिल जाता है । 

Friday 21 December 2012

खोये भागे को बुलाने का यंत्र







विधान एवं प्रभाव :- 
गोरोचन की स्याही से भोजपत्र के उपर इस यंत्र का निर्माण करें । यंत्र के बीच में साध्य का नाम लिखें । फिर इस यंत्र को जल में स्थापित कर दें । 

१.   इस प्रयोग से रूठा व्यक्ति मान जाता है ।
२.  घर से भागा हुआ वापस घर आ जाता है ।
३.  खोया हुआ व्यक्ति मिल जाता हैं 


Tuesday 18 December 2012

सर्वांग उन्नत्ति बीसा यंत्र







प्रभाव :- 

इस यंत्र के प्रभाव सर्वांगीण उन्नत्ति होती है । धारण करने वाले जातक का कोई बुरा नहीं कर पाता और ना ही बुरा करने की सोच पाता है । 


विधि :- 

किसी शुभदिन अष्टगंध की स्याही अनार की कलम से भोजपत्र पर 110 की संख्या में यंत्र लिखें । 108 यंत्र तो आटे की गोलियों में भरकर मछलियों को खिला दें और तांबे या चाँदी ताबीज में बाजू पर धारण करें और गुग्गल की धूप भी दें । 

दाम्पत्य जीवन में शांति हेतु यंत्र







प्रभाव :- 

शादी करना सरल है पर निभाना कठिन कार्य । कई बार शादी शुदा जीवन नरक लाग्ने लगता हैं । 
इस यंत्र के प्रभाव से शादी शुदा जीवन में शांति अति है तथा तलाक तक आई नौबत भी दूर हो जाती है । 
इस यंत्र को पति पत्नी में से कोई भी धरण कर सकता हैं । और अपने जीवन में शान्ति प्राप्त कर सकता है । 


विधान :- 

किसी शुभदिन पर अष्ट गंध की स्याही से भोजपत्र पर बनना कर इस यंत्र  को ताबीज में धारण करें या सोने के पत्रे पर इस को खुदवा कर भी धारण किया जा सकता हैं । 

Friday 14 December 2012

क्रोध शांत करने का यंत्र





प्रभाव :- 

इस यंत्र अपनी मुट्ठी में बंद करके जिस अफसर या बड़े से बड़े आदमी के सामने जाएंगे , वो वश में हो जाएगा और वो पहले से किसी बात पर नाराज होगा तो उस का गुस्सा एक दम शांत हो जाएगा जैसे कुछ हुआ ही नहीं था । 


विधान :- 

इस का यंत्र का निर्माण विधान सरल नहीं हैं कृपा कर अपने विवके और अनुभवी व्यक्ति के मार्ग दर्शन में करें । 

लाल चन्दन , केसर , गोरोचन और अनामिका उंगली का रक्त इन सब को मिला कर स्याही बनायें । फिर भोजपत्र पर इस यंत्र का निर्माण हड्डी से करें । फूल , इत्र , मिष्ठान और ताज़ा माँस अर्पित करें और विधिवत पूजन करें । अवशकता पड़ने पर इस यंत्र का प्रयोग करें । 

अभिचार नाशक यंत्र



प्रभाव :- 

इस यंत्र को धरण करने से किसी भी अभिचर का प्रभाव नहीं पड़ता । 
तथा पुराने अभिचार का प्रभाव भी नष्ट हो जाता हैं । व्यक्ति सुरक्षित रहता है । 

विधान :- 

मंगलवार वाले दिन कुमकुम , कस्तुरी , गोरोचन को मिलकर स्याही बनाकर उससे भोजपत्र पर लिखकर अष्ट धातु के कवच में काले कपड़े में सिलकर धरण करें । 

Thursday 13 December 2012

अमोध बीसा यंत्र






प्रभाव :- 

जिन व्यक्तियों या बच्चों को नजर या भूत प्रेतों की बाधा अधिक होती है ये उन लोगो के लिए राम बाण साबित होता है । 

इस को धारण करने से बधाएं दूर होती है । भय का नाश होता है । स्वस्थ की रक्षा होती है । 


इष्ट ग्रह कुमार बीसा यंत्र






प्रभाव  - 

1 . -  अगर कोई ग्रह पीड़ा दे रहा होतो इस यंत्र का प्रयोग पीपल के पत्ते पर    कर ने से ग्रह की पीड़ा शांत हो जाती है । 

2. -  कोई बस्तु चोरी हो गयी होतो उस वस्तु का नाम यंत्र के नीचे लिख कर मंत्र की 40 माला  जाप करना चाहिए । खोई या चोरी गयी वस्तु मिल जाती है । 

3. -  इस यंत्र को घर पर रखने से या धरण करने से घर सौभाग्य की वृद्धि होती है । धन धान्य मैं वृद्धि होती है । और सभी संकटों से रक्षा होती है । 

4. -   शरीर पर धरण करने से विजय की प्राप्ति होती है । व्यक्ति सब का प्रिय हो जाता है । 






मधुमेह नाशक यंत्र







प्रयोग :-       इस यंत्र को अनार की कलम से और अष्टगंध की स्याही से भोजपत्र पर लिखा कर धूप -        दीप से पुजा करनी चाईये । चाँदी के ताबीज में भर कर धारण कर लेना चाहिये । 


प्रभाव :-  इसके प्रभाव से डायबिटीज़ (मधुमेह ) जैसे रोग समाप्त हो जाता हैं । 



श्री हंस बीसा यंत्र





प्रभाव :- 

1 - जो बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं । याद नहीं रख पते । उन बच्चों के ये लाभकारी यंत्र है । 

2 - मानसिक कमजोर बच्चो के लिए लाभ करी यंत्र है । 

3 - इस यंत्र की नित्य पुजा करने से माँ सरस्वती की कृपा प्राप्त होते है ।  

धन प्रकोष्ठ (विघ्नेश ) बीसा यंत्र









प्रभाव :- 

1 - इस यंत्र को दाहिनी भुजा पर धरण करने के बाद जातक जिस कार्य के लिए जाता है । वो निर्विघ्न रूप से सफल होता है । 


2 - जिस मकान की नीव में ये यंत्र विधिवत रूप से दवाया जाता है उस मकान में अकाल मृत्यु नहीं होती । धन की कमी नहीं होती और सदा मकान में रहने वाले परिवार की पूर्ण रूप से रक्षा होती है । 


3 - इस यंत्र को खेत में गाड़ दिया जाये उस खेत में फसल का कभी नुकसान नहीं होता । बगीचे मीन गाड़ देने से बग़ीचा फल फूल से भरा रहता है । 




चौंतीसा लक्ष्मी प्राप्ति यंत्र






प्रभाव : - 

१ . इस के प्रभाव से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । 
२.  जिस की दुकान धनदा कम चल रहा हो । उस को ये यंत्र अपनी दुकान में स्थापित करना चाइये । इस के प्रभाव से दुकानदारी चलने लगती है । 

३. जिस के घर में धन का अभाव रहता हो उसको अपने घर में इस यंत्र को स्थापित करना चाइये । 




विधान :- 

इस यंत्र को अष्टगंध या केशर की स्याही से अनार की कलम द्वारा रवि पुष्य नक्षत्र में निर्माण करना चाइये । 
विधिवध पूजन कर ११ पाठ श्री सूक्त के करने चाइये । गूगल से १०८ आहुति लक्ष्मी मंत्र की देनी चाइये । 
तथा ११ कन्याओं को खीर का भोजन करवाकर उनके पैर पूजने चाइये । और इस यंत्र को प्रार्थना  कर माँ लक्ष्मी से आशीर्वाद रूप लेरहे हैं । इस प्रकार की भाव मन में रख कर आपने उद्देश अनुसार प्रयोग करना चाहिये । 


गर्भ रक्षा यंत्र





प्रभाव :- 

किसी स्त्री का गर्भ किसी न किसी कारण से गिर जाता हो तो इस यंत्र के प्रभाव से प्रसवकाल तक गर्भ सुरक्षित रहेगा तथा स्त्री को माँ बनने का सौभाग्य अवश्य प्राप्त होगा । 

विधान:- 

इस यंत्र को सफ़ेद कागज पर केसर  से लिखकर मोमजामे में रख कर स्त्री की कमर में बांधे । 





यंत्र 

यंत्र शब्द जानना पहचान शब्द हैं । आधुनिक युग के लोग यंत्र मशीनों को बोलते हैं जो ये सत्य भी है ।
मनुष्य ने अपनी उन्नति के लिए इस यंत्र को ही अपनी सफलता की सीडी के रूप में प्रयोग किया ।
उन्नति अंदर की हो या बाहर की , आध्यात्मिक हो या भौंतिक बिना यंत्र की सायता के संभव नहीं है ।
तन्त्र के मुख्य दो भाग है ।
  1.      मंत्र
  2.      यंत्र

ग्रन्थों में यंत्र को देवताओं का शरीर कहा गया हैं । यंत्र देवता तुल्य होता हैं ।
हमारे ऋषि मुनियों ने आपने दिव्य ज्ञान के प्रगोग से यंत्र के रहस्य को समझा साधारण मनुष्य की सायता के लिए इस का प्रयोग किया । यंत्रों का प्रयोग दैहिक , दैविक , भौतिक अवशकताओं की पूर्ति के लिए किया जा सकता हैं और किया जाता रहा हैं ।

                  यंत्र निर्माण षटकर्मों के लिए किया जाता हैं ।

1.   शांतिकरण
2.  वशीकरण
3.  स्तंभन
4.  विद्धेषण
5.  उच्चाटन
6.  मारण
षटकर्मों की देवियाँ और दिशाएँ  –
1. शांतिकरण की देवी      -  रति     - ईशान कोण
2. वशीकरण की देवी      -  वाणी     -  उत्तर दिशा
3. स्तंभन की देवी        -  रमा      - पूरब दिशा
4. विद्धेषण की देवी       -  ज्येष्ठा    - नेऋर्त्य कोण
5. उच्चाटन की देवी      -   दुर्गा     -  वायव्य कोण
6. मारण  की देवी       -  भद्रकली   -  अग्नि कोण

       यंत्रों के दो वर्ग होते हैं ।
1.       रेखात्मक यंत्र
2.       आकृतिमूलक यंत्र

रेखात्मक यंत्र के निम्न चार वर्ग होते हैं ।
1.      बीजमंत्रगर्भित यंत्र ।
2.      मंत्रवर्णगर्भित  यंत्र ।
3.      अंकगर्भित यंत्र ।
4.      मिश्रमंत्रगर्भित यंत्र ।


यंत्रों की आकृतियाँ –

यंत्र विभिन्न प्रकार के देखने को मिलते हैं उनकी आकृतियां उनके प्रयोग पर निर्भर करती हैं ।
यंत्रों की आकृतियाँ निम्नप्रकर की होती हैं ।
 1.      भूप्रष्ट यंत्र
 2.      मेरुप्रष्ट
 3.      पाताल यंत्र
 4.      मेरुप्रस्तार यंत्र
 5.      कुर्मप्रष्ट यंत्र
 6.      पंच तत्वों की आकृति वाले यंत्र ।

शास्त्रीय दृष्टि से यंत्र सात प्रकार के होते हैं ।
 1.      शरीर यंत्र
 2.      धारण यंत्र
 3.      आसन यंत्र
 4.      मण्डल यंत्र
 5.      पुजा यंत्र
 6.      छत्र यंत्र
 7.      दर्शन यंत्र


यंत्रों का प्रयोग हमेशा जनहित में करना चईए । और अध्यंत्मिक उन्नति के लिए होना चाईये ।